Thursday, January 3, 2013

जो तलाशना चाहा


दामिनी को समर्पित ।।

हालिया दिनों में जो भारतीय लड़कियों के आत्मविश्वास को झंझोर कर रख देने वाली अमानवीय घटनाएँ सामने आई हैं उसके लिए हम किसे दोषी ठहराएँ । इस समाज को ,कानून व्यस्था को या फिर कुछ मानसिक विकृत पुरुषो की सड़ी-गली घिनौनी मानसिकता को ।क्या दो लोगो के बीच होती जा रही प्रेम की कमी भी जिम्मेदार है इस घटना के लिए ? अगर हाँ तो ये निकट भविष्य की बड़ी विपदा की ओर संकेत कर रही है ।इक लड़की तो बस प्रेम देखना चाहती है किसी के भी आँखों में ,हवस नहीं ।भगवान सबकी रक्षा करें ।

जिसे मैंने तुम्हारे आँखों
मन  और हाव- भाव में
तलाशना चाहा
तुम उसे मेरी
जिस्म की परतो में
अनुभव करते गये।
तुम्हारा अस्तित्व
एक संवेदना का
सोचा बनकर रहा ,
तुम निस्पृह ,निर्द्वंद
भाव से परे रहकर
पार चले गये ।।

                    :- अरुणेश नारायण

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