नजर में मेरी जब आपका अक्स आया ||
दिल ने तेरे दिल में समा के कही ग़ज़ल ||
प्यासे होठो को जब एक बूँद न मिली ।
अपने आंसू से भिगो , कही हमने ग़ज़ल ||
नैनों में जो तैर रहे थे सुन्दर दृश्य , संग उनके |
अन्धेरा छटा तो मालूम पड़ा, ख्वाब थी वो ग़ज़ल ॥
निश्चल सी पड़ी है, जो खटिये पे यहीं ।
सुने जो 'नेश' तेरे होठो से ,जी उठे ये मेरी ग़ज़ल ॥........... अरुणेश नारायण
aruneshnarayanShabd
दिल ने तेरे दिल में समा के कही ग़ज़ल ||
प्यासे होठो को जब एक बूँद न मिली ।
अपने आंसू से भिगो , कही हमने ग़ज़ल ||
नैनों में जो तैर रहे थे सुन्दर दृश्य , संग उनके |
अन्धेरा छटा तो मालूम पड़ा, ख्वाब थी वो ग़ज़ल ॥
निश्चल सी पड़ी है, जो खटिये पे यहीं ।
सुने जो 'नेश' तेरे होठो से ,जी उठे ये मेरी ग़ज़ल ॥........... अरुणेश नारायण
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