Sunday, March 9, 2014

कही हमने ग़ज़ल

नजर  में मेरी  जब आपका अक्स आया ||
दिल  ने तेरे  दिल में समा के कही ग़ज़ल  ||

प्यासे होठो को जब एक बूँद  न मिली ।
अपने आंसू से भिगो , कही हमने ग़ज़ल  ||

नैनों में  जो तैर रहे थे सुन्दर दृश्य , संग उनके |
अन्धेरा छटा तो मालूम पड़ा, ख्वाब थी वो ग़ज़ल  ॥

निश्चल सी पड़ी है, जो  खटिये पे  यहीं ।
सुने जो 'नेश' तेरे होठो से ,जी उठे ये मेरी ग़ज़ल ॥........... अरुणेश नारायण
aruneshnarayanShabd

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