कल से ही तुम्हारी यादों ने परेशां कर रखा है
शायद पड़ गयी है गठरी ढीली ,जिसमें
दिल रखा था बांध कर ॥
पथरीली हृदय में बहती नदी भी
सुखी लगती है अब
झरना जो बहता था आँखों से
सूखी सी रहती है आजकल ||
शायद पड़ गयी है गठरी ढीली ,जिसमें
दिल रखा था बांध कर ॥
पथरीली हृदय में बहती नदी भी
सुखी लगती है अब
झरना जो बहता था आँखों से
सूखी सी रहती है आजकल ||
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