मिन्नतें है तुम्हारी नज़रों से
एक झलक दे मुझे उबार दे ।
होठों कि सुर्ख़ियों से अपनी
हंसी में लपेट मेरा नाम उछाल दे ॥
दिल कि धड़कने हो गयी हैं खामोश सी
अपनी धड़कनों से फिर ताल मिला दे|
ठहर गया हूँ यहाँ सफ़र में आके मैं
जुल्फों कि छावं दे ये थकन उतार दे ॥
अभी तो रास्ता है काफी तय करना बाकि
दो कदम साथ चल मंज़िल करीब ला दे ॥
बस गुज़ारिश हैं तुम्हारी
इन नज़रों से,
एक झलक दे मुझे उबार दे ||
एक झलक दे मुझे उबार दे ।
होठों कि सुर्ख़ियों से अपनी
हंसी में लपेट मेरा नाम उछाल दे ॥
दिल कि धड़कने हो गयी हैं खामोश सी
अपनी धड़कनों से फिर ताल मिला दे|
ठहर गया हूँ यहाँ सफ़र में आके मैं
जुल्फों कि छावं दे ये थकन उतार दे ॥
अभी तो रास्ता है काफी तय करना बाकि
दो कदम साथ चल मंज़िल करीब ला दे ॥
बस गुज़ारिश हैं तुम्हारी
इन नज़रों से,
एक झलक दे मुझे उबार दे ||
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