पतझड़ों के बाद भी
सुखी नहीं हैं पंखुड़ियां
हवाओं ने धुन
छेड़ी बांसुरी की
मध्धम मध्धम रहेगी
हम रहें न रहें यहाँ
प्रेम गीत यों ही रहेगी
एक अरसे बाद भी ॥
याद है,
मुझे तुमने कहा था
वक़्त कि धर में बह जायेगी
सारी याद भी ,
क्यों मगर अब भी
वही ललक, आशा है इंतज़ार की
एक अरसे बाद भी ॥
कई कसमें ,
खायी थी हमने संग रहने की
रेखायें हथेली कि भी कहती
यही थी चाँद कि रौशनी में |
क्या हुआ ऐसा की
सारा मानचित्र बदल गया
भूगोल के दूसरे छोर पे हैं दोनों
पर साथ तेरा छूटा नहीं
एक अरसे बाद भी ॥।
सुखी नहीं हैं पंखुड़ियां
खुशबु ताज़ी है अभी
एक अरसे बाद भी ॥हवाओं ने धुन
छेड़ी बांसुरी की
मध्धम मध्धम रहेगी
हम रहें न रहें यहाँ
प्रेम गीत यों ही रहेगी
एक अरसे बाद भी ॥
याद है,
मुझे तुमने कहा था
वक़्त कि धर में बह जायेगी
सारी याद भी ,
क्यों मगर अब भी
वही ललक, आशा है इंतज़ार की
एक अरसे बाद भी ॥
कई कसमें ,
खायी थी हमने संग रहने की
रेखायें हथेली कि भी कहती
यही थी चाँद कि रौशनी में |
क्या हुआ ऐसा की
सारा मानचित्र बदल गया
भूगोल के दूसरे छोर पे हैं दोनों
पर साथ तेरा छूटा नहीं
एक अरसे बाद भी ॥।
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