
नयन का सावन निमंत्रण दे रहा है।
आज तुमसे परे आ कितना व्यग्र है मन
लौट आओ प्राण! पास मेरे
प्रथम एहसास की सौगंध
प्रीत का बचपन निमंत्रण दे रहा है ।।
दूर रहती है रात को भी चाँद से चांदनी कभी ?
फुल से खुशबु , नींद से नयन कभी ?
लौट आओ हंसिनी !पास मेरे
'नेश' का समर्पण निमंत्रण दे रहा है ।।
पलकों में समाया है सुरमई चेहरा तेरा,
हो ना जाए आँख से ओझल नींद की बदलियाँ,
लौट आओ प्रिये ! पास मेरे ,
यह अकेलापन निमंत्रण दे रहा है ।।
आ जाओ पास मेरे की
नयन का सावन निमंत्रण दे रहा है।
लौट आओ हंसिनी !पास मेरे
'नेश' का समर्पण निमंत्रण दे रहा है ।।
पलकों में समाया है सुरमई चेहरा तेरा,
हो ना जाए आँख से ओझल नींद की बदलियाँ,
लौट आओ प्रिये ! पास मेरे ,
यह अकेलापन निमंत्रण दे रहा है ।।
आ जाओ पास मेरे की
नयन का सावन निमंत्रण दे रहा है।
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